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मूत्राशय की जलन |
शुष्क धनिया (दाना) को मोटा-मोटा कूटकर इसका छिलका अलग करें और बीजों के अन्दर की गिरी निकालकर ३०० ग्राम धनिया की गिरी (प्रायः ४५० ग्राम धनिया में से २०० ग्राम गिरी निकल जाती है) तथा बराबर वजन ३०० ग्राम मिश्री कूजा (या चीनी) ले। दोनों को अलग-अलग पीसकर आपस में मिला लें। बस दवा तैयार है।Follow-me facebook
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मूत्राशय की जलन |
सेवन विधि-प्रात:सायं छः छः ग्राम की मात्रा से यह चूर्ण बासी पानी के साथ दिन में दो बार लें। प्रातः बिना खाये-पीये रात को बासी पानी से छः ग्राम फाँक लें और तत्पश्चात् एक-दो घंटे तक और कुछ न खाएँ। इसी प्रकार छ: ग्राम दवा शाम ४ बजे लगभग प्रात: के रखे हुए पानी के साथ फाँक लें। रात का भोजन इसके दो घंटे पश्चात् करें। यह मूत्राशय की जलन दूर करने में अद्वितीय है । आवश्यकतानुसार तीन दिन से इक्कीस दिन तक लें। Follow-me instagram
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मूत्राशय की जलन |
विशेष—(१) मूत्राशय की जलन के अतिरिक्त वीर्य की उत्तेजना दूर करने में यह प्रयोग अचूक है। भयंकर और कठिन से कठिन स्वप्नदोष की बीमारी में इसकी पहली दो खुराकों से ही लाभ प्रतीत होगा। इसे इस बीमारी में तीन दिन से सात दिन तक लेना चाहिए। शौच यदि अधिक पतले दस्त के रूप में होता हो तो दूसरी मात्रा सायं चार बजे लेने की बजाय रात्रि के समय सोने से आधा घंटे पहले लें, परन्तु यदि कब्ज की शिकायत अधिक रहती हो तो दूसरी मात्रा सायं चार बजे ही लें और रात्रि सोते समय ईसबगोल की भूसी (छिलका) चार-पाँच ग्राम से लेकर पन्द्रह ग्राम तक ताजा पानी से फाँकिये, बिना किसी कष्ट के शौच होगा। ईसबगोल का उपयोग पहली रात में थोड़ी मात्रा में करे। यदि इससे लाभ न हो तो दूसरी रात्रि को इसकी मात्रा बढ़ा लें यहाँ तक कि प्रातः शौच साफ होने लगे (चार-पाँच ग्राम से लेकर पन्द्रह ग्राम तक का यही मतलब है)। ईसबगोल एक हानिरहित कब्जनाशक होने के अतिरिक्त पतले वीर्य को गाढ़ा करने, स्वप्नदोष और मूत्राशय की उत्तेजना दूर करने के लिए उपरोक्त औषधि की विशेष सहायता करता है।
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मूत्राशय की जलन |
(२) इस औषधि के सेवन से जहाँ प्रमेह नष्ट होता है, वहाँ प्रमेह, स्वप्नदोष या यौन अव्यवस्थाओं के परिणामस्वरूप होने वाले रोगों जैसे नजर की कमजोरी, धुंधलाहट, सिर दर्द, चक्कर, नींद न आना आदि में अत्यन्त हितकर है और पोटेशियम ब्रोमाइड की तरह दिल और दिमाग को कमजोर नहीं करती बल्कि इन्हें बल मिलता है ।
(३) वीर्य की उत्तेजना और स्वप्नदोष में केवल भुजंगासन (सर्पासन) के उचित अभ्यास से स्थायी लाभ होता है।
अन्य विधि-दस ग्राम धनिया रात्रि में पानी में भिगो दें। सुबह उसे ठण्डाई (सर्दाई) की तरह पीसकर छानकर मिश्री मिलाकर सेवन करें। तासीर ठण्डी होने के कारण, सावधानी से आवश्यकतानुसार दो-चार दिन लें। मूत्र की जलन नष्ट होगी।
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मूत्राशय की जलन |
विकल्प-(१) दही में पिसी हुई प्याज की चटनी मिलाकर कुछ दिन खाने से मूत्र की जलन बन्द होती है।
(२) यदि मूत्र करते समय मूत्र नली में जलन हो तो तुलसी की चार-पाँच पत्तियाँ दिन में दो बार खाली पेट चबाएँ। ऊपर से एक-दो घंट पानी भी पी सकते हैं। तीन-चार दिन में आराम होगा।
(३) बेल की दस पत्तियाँ सुबह-शाम बारीक पीसकर २५० ग्राम पानी में मिलाकर पीएँ। तीन-चार दिन में आराम हो जायेगा। स्वप्नदोष दूर करने के लिए पन्द्रह दिन तक लें।
(४) मूत्र में जलन, रुकावट होने पर केवल ठंडे पानी में तौलिया गीला करके नाभि से नीचे पेड़ू पर रखकर १५-२० मिनट लेटे रहने से ही जलन मिट जाती है।
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