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Showing posts from May, 2017

चुम्बकीय शक्ति द्वारा रक्त प्रदर का ईलाज

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चुम्बकीय शक्ति द्वारा रक्त प्रदर का ईलाज यह स्त्रियों को होने वाला रोग है, जिसमें माहवारी इसके अलावा एक अन्य अवस्था ऐसी होती है, जिसमें बहुत या माहवारी से इसका कोई सम्बन्ध नहीं होता। इस अवस्था को रक्त प्रव अवधि के अंदर ही कभी-कभी सामान्य स्थिति हो जाती है, जवान लड़ प्रत्येक ऋतुस्राव के दौरान एक सप्ताह तक गतिशील रहती है। स्त्रियों में यह अवस्था रजोनिवृत्ति (Menopause) के समय बहुतायत से पाई जाती है। योनि मार्ग से अनियमित तथा अधिक खून बहने के कुछ मुख्य कारण हैं–गर्भपात, गर्भाशय के अंदर किसी प्रकार की रसौली, फाइब्रोइड का होना, बच्चेदानी के अंदर की सतह पर घाव तथा खून की कमी, गलगण्ड (Goitre) की उत्पत्ति होना आदि। अधिक खुन जाने से चेहरा पीला पड़ जाता है, आँखे अंदर की ओर धंस जाती हैं, हाथ-पैर ठण्डे हो जाते हैं, नजर और नाडी कमजोर हो जाती है, कानों में भिनभिनाहट होती है, सिरदर्द रहता है। Follow-me Facebook page click this link चुम्बकीय शक्ति द्वारा रक्त प्रदर का ईलाज सामान्य उपचार 1. सादा तथा शीघ्र पचने वाला भोजन करें। 2. शारीरिक परिश्रम, कोई व्यायाम या योग करें। 3. मानसिक

गैस रोग या आफरा

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गैस रोग  उर्ध्ववात यानी गैस रोग आजकल एक सामान्य रोग हो गया है।पेट में गैस बनना सामान्यतः पाचन संबंधी किसी अन्य रोग का लक्षण बन गया है। गैस रोग Image credit:- Google कारण- प्रायः अयनियमित आहार-विहार के कारण ही यह रोग उत्पन्न होता है।आजकल न तो लोगो के पास भोजन का निश्चित समय है,न सोने का।चाय,कॉफी और नशे का बढ़ता शौक,भूख लगने पर भी न खाना,तीखे मिर्च मसाले और तेल का अधिक प्रयोग करना,इन्ही सबका दुष्परिणाम है लोगों को गैस रोग उत्पन्न हो रहा है।पेट में गैस रोग का सीधा सम्बन्ध भय,क्रोध, चिंता,द्वेष, आदि से भी  होता है।तनाव की अवस्था में कुछ लोगो में   गैस रोग और तीव्र हो जाता है। Follow-me गैस रोग Image credit:- Google लक्षण- पेट में गैस होने से पाचन क्रिया बिगड़ जाती है।अम्ल एवं क्षार का संतुलन अव्यवस्थित हो जाता है।पेट और पीठ में हल्का-हल्का दर्द भी महसूस होता है,पेट साफ नहीं होता तथा पेट भारी रहता है.डकारें अधिक आती हैं, मल सूख जाता हैं, थकावट व आलस्य छाया रहता हैं। Follow-me गैस रोग image credit:- Google नुस्खे-(1) लहसुन और अदरक के रस को मिलाकार कुनकुने पानी के सा

अजीर्ण(अपच)

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अजीर्ण अजीर्ण अजीर्ण - अजीर्ण एक स्वतंत्र रोग तो है ही, साथ ही प्रत्येक रोगों का असली कारण भी है। आहार-विहार में लापरवाही करने से अजीर्ण होता है, जो खान-पान पर संयम न रखते हुए जानवरों की तरह बेहिसाब खाते रहते है, वे मुख्य रूप से इस रोग के शिकार होते हैं। जब खाया हुआ भोजन पचता नहीं है तो उसे अजीर्ण कहते हैं। ऐसे खाने वाले भोजन या अपच वाले भोजन से रस बहुत कम बनता है और मल अधिक बनता है। कभी-कभी किसी खास पदार्थ या पेय के अधिक सेवन से भी अजीर्ण हो सकता है। Follow-me instagram कारण - जरूरत से अधिक और नियम विरुद्ध खाना खाने से, अधिक पानी पीने से,लैट्रिन-पेसाब को रोकने से,पहले खाया हुआ न पचना और उसके ऊपर से फिर दोबारा खा लेना।दिन में अधिक सोने और रात को अधिक देर तक जागने से हल्का खाया हुआ भोजन भी नहीं पचता और अजीर्ण हो जाता है। ज्यादा गरिष्ठ भोजन,कच्चे अधपके सड़े-गले फल,तेज मिर्च मसाले वाले भोजन खाने से भी अजीर्ण हो जाता है। Follow-me facebook अजीर्ण लक्षण - पेट में भारीपन,पेट में जकड़न,कभी कब्ज़,कभी पतले दस्त होना,ये अजीर्ण के सामान्य लक्ष

पेट के रोग

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परिचय - पेट यानी आहार का भंडार गृह,भगवान द्वारा बनाया हुआ यह अंग बहुत से बीमारियो की जड़ है।भूख लगने पर जब हल्का भोजन किया जाता है,तो पाचन संस्थान उन्हें पचाकर रस और धातु में बदल देता है. Follow-me facebook page पेट के रोग   परंतु यदि अधिक मात्रा तथा गरिष्ठ भोजन किया जाये तो,मंदाग्नि,अपच,कब्ज़ जैसे विभिन्न प्रकार के रोग  उत्पन्य होने लगते है।अधिक मात्रा में मिर्च मसाले,आचार,चटनी,खट्टे-तीखे  के सेवन से पाचन क्रिया प्रभावित होती है,जिसके नतीज़तन कई तरह के उदर रोग होते है।अधिक और असुपच्या आहार से पाचन क्रिया तो प्रभावित होती ही है,जबकि इसका प्रभाव हमारे शारीरिक,मानसिक और बौद्धिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है Follow-me instagram पेट के रोग पेट का तात्पर्य- केवल उदर से ही नहीं है, बल्कि इसमें अमाशय, पक्वाशय, छोटी एवम् बड़ी आते, यकृत,गुर्दे आदि अंग भी शामिल है।विरुद्ध  आहारविहार और लगातार खाने से मंदाग्नि मंद पद जाती है,जिससे कम खाया हुआ भोजन भी ढंग से नहीं पचताजिसके फलस्वरूप अजीर्ण, अरुचि,अग्निमांद्य,अतिसार जैसी कई बीमारिया घेर लेती हैं।आखिर इन बीमारियो का इलाज क्या है?जीभ तो मानने