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Showing posts from June, 2018

चुम्बकीय शक्ति द्वारा रक्त प्रदर का ईलाज

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चुम्बकीय शक्ति द्वारा रक्त प्रदर का ईलाज यह स्त्रियों को होने वाला रोग है, जिसमें माहवारी इसके अलावा एक अन्य अवस्था ऐसी होती है, जिसमें बहुत या माहवारी से इसका कोई सम्बन्ध नहीं होता। इस अवस्था को रक्त प्रव अवधि के अंदर ही कभी-कभी सामान्य स्थिति हो जाती है, जवान लड़ प्रत्येक ऋतुस्राव के दौरान एक सप्ताह तक गतिशील रहती है। स्त्रियों में यह अवस्था रजोनिवृत्ति (Menopause) के समय बहुतायत से पाई जाती है। योनि मार्ग से अनियमित तथा अधिक खून बहने के कुछ मुख्य कारण हैं–गर्भपात, गर्भाशय के अंदर किसी प्रकार की रसौली, फाइब्रोइड का होना, बच्चेदानी के अंदर की सतह पर घाव तथा खून की कमी, गलगण्ड (Goitre) की उत्पत्ति होना आदि। अधिक खुन जाने से चेहरा पीला पड़ जाता है, आँखे अंदर की ओर धंस जाती हैं, हाथ-पैर ठण्डे हो जाते हैं, नजर और नाडी कमजोर हो जाती है, कानों में भिनभिनाहट होती है, सिरदर्द रहता है। Follow-me Facebook page click this link चुम्बकीय शक्ति द्वारा रक्त प्रदर का ईलाज सामान्य उपचार 1. सादा तथा शीघ्र पचने वाला भोजन करें। 2. शारीरिक परिश्रम, कोई व्यायाम या योग करें। 3. मानसिक

हृदय तथा मस्तिष्क की बीमारियों से बचाव

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हृदय तथा मस्तिष्क की बीमारियों से बचाव दक्षिण दिशा की तरफ सिर रखकर सोना-दक्षिण की ओर पैर करके सोने से हृदय तथा मस्तिष्क की बीमारियाँ पैदा होती है। अत: दक्षिण की तरफ पाँव करके न सोये। कारण यह है कि उत्तर से दक्षिण को पृथ्वी के ध्रुवों के कारण बिजली की तरंगे जारी रहती हैं। उत्तरी ध्रुव में धनात्मक बिजली अधिक है और दक्षिण ध्रुव में ऋणात्मक।  Follow-me facebook page हृदय तथा मस्तिष्क की बीमारियों से बचाव इसी प्रकार मनुष्य के सिर में विद्युत का धनात्मक केन्द्र होता है और पैरों की ओर ऋणात्मक। यदि बिजली एक ही प्रकार की दोनों ओर से आमने-सामने लाई जाये तो एक-दूसरे से मिलती नहीं अपितु हटना चाहती है और यदि परस्पर विरोध वाली हो तो दौड़कर मिलना चाहती है। यदि मनुष्य का सिर दक्षिण की ओर है तो सिर की धनात्मक और ध्रुव की ऋणात्मक बिजली एक-दूसरे के सामने हो जाने से एक गति जारी हो जाती है, क्योंकि दोनों मिलना चाहती हैं। इससे कई लाभ होते हैं। हृदय तथा मस्तिष्क की बीमारियों से बचाव होता है। नींद अच्छी व तरोताजा करने वाली आती है। स्वप्न कम आते हैं।  Follow-me instagram हृदय तथा मस्तिष्क क

हर तरह के बुखार का रामबाण ईलाज

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हर तरह के बुखार का रामबाण ईलाज हर तरह के बुखार में एक प्रभावशाली योग (१) सौंठ (२) छोटी पीपर (३) काली मिर्च, (४) सैंधा नमक, (५) अजमोद (६) सूखा पोदीना (७) पित्त पापड़ा, (८) नीम गिलोय-प्रत्येक ६-६ ग्राम लें और साफ करने के बाद अलग-अलग प्रत्येक का दरदरा चूर्ण बना लें। | यदि तेज बुखार हो अर्थात् यदि ताप १०१० से अधिक हो तो सभी आठों औषधियों के चूर्ण समान मात्रा में मिलाकर काम में लाएँ। परन्तु यदि कम बुखार अर्थात् १०१° तक ज्वर में नीम गिलोय २/३ मात्रा में अर्थात् ४ ग्राम (६ ग्राम के स्थान पर) इस नुस्खे में मिलाकर प्रयोग करे। Follow-me instagram हर तरह के बुखार का रामबाण ईलाज सेवन-विधि – उपरोक्त चूर्ण बड़ो के लिए छ: ग्राम (बच्चों के लिए ३ ग्राम) की मात्रा लेकर थोड़े (६० ग्राम) पानी के साथ मिलाकर बारीक पीस लें और ऐसा घोल या घासा बना लें जो न गाढ़ा हो और न पतला ही। यह घासा जितना बारीक पीसेंगे, घोंटेंगे, उतना ही यह अधिक प्रभावशाली होगा। इस धासा को किसी काँसे की कटोरी को थोड़ा गर्म कर उसमें डालें ताकि यह काँसी-तप, अर्थात् थोड़ा गनगना हो जाए। काँसे की कटोरी न मिले तो पीतल की कलई वा

क्षय रोग या टी.बी ठीक करने के आसान घरेलू उपाए

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फेफड़े की क्षय या टी.बी को निर्मूल या खत्म करने के लिए लहसुन की दो कली छीलकर पीस लें और पाव भर दूध में डालकर उबालें। खीर की तरह गाढ़ा होने पर दूध को उतार कर पीने लायक ठण्डा कर लें। नित्य प्रात: या सोते समय रोजाना एक बार यह खीर लें । मास-दो मास सेवन करने से क्षय दूर हो जाता है। Follow-me instagram क्षय रोग या टी.बी ठीक करने के आसान घरेलू उपाए विशेष — (१) इसके सेवन से उच्च रक्तचाप में भी आशातीत लाभ होता है और उच्च रक्तचाप से बचाव भी। (२) कच्चे लहसुन के टुकड़े मुनक्का में लपेट कर नित्य तीन बार खाने से चार दिन में पेट की कीड़े नष्ट हो जाते हैं । (३) सर्दियों में दो-तीन मास लहसुन के सेवन से स्वास्थ्य उत्तम हो जाता है । (४) गुर्दे व मूत्राशय की सूजन व दाह तथा अजीर्ण आदि रोगों में इसका प्रयोग सावधानीपूर्वक करें । Follow-me Facebook क्षय रोग या टी.बी ठीक करने के आसान घरेलू उपाए विकल्प - सायं २५० ग्राम दूध में एक छुहारा भिगो दें । रात्रि सोने से पहले छुहारा इसी दूध में अच्छी तरह उबाल लें। तत्पश्चात् छुहारा की गुठली निकालकर उसे अच्छी तरह चबाकर खा लें और ऊपर से म

छाती का दर्द तथा पसली चलना

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अजवाइन एक चम्मच को 250 ग्राम पानी में उबालें, चौथाई शेष रहने पर काढ़े को छानकर रात को सोते समय गरम-गरम पीकर ओढ़ कर सो जाए। दिन में दो बार नियमित पीने से पांच सात दिन में छाती का दर्द नष्ट हो जाता है वह काढ़ा दो चम्मच की मात्रा से दिन में दो बार निरंतर कुछ दिन लेने से पसली चलना भी ठीक हो जाता है। छाती का दर्द तथा पसली चलना Follow-me facebook page शिशु को सर्दी लगना- 6 महीने से 12 महीने के आयु वाले छोटे बच्चे को ठंडे मौसम या ठंडी हवा के कारण सर्दी लग जाए,छाती में कफ बोले,छाती में दर्द हो या पसली चले तो आधा कप पानी में 10-12 दाने अजवाइन के डालकर उबाले।आधा रहने पर कपड़े से छान ले यह।अजवाइन का काढ़ा थोड़ा गर्म गर्म शिशु को दिन में दो बार अथवा केवल रात में सोने से पहले पिलाए तो अवश्य लाभ होगा। Follow-me instagram छाती का दर्द तथा पसली चलना विशेष - साथ ही यह अजवाइन का काढ़ा,यकृत,तिल्ली,हिचकी,वमन,मिचली,खट्टी डकारें आना,पेट की गुड़गुड़ाहट,मूत्र-विकार एवम पथरी रोगों का विनाशक है।इससे मौसम बदलते ही होने वाले जुकाम की शिकायत भी दूर हो जाती है।ध्यान रहे जिन्हें मूत्र कठिनाई से उतरता हो