चुम्बकीय शक्ति द्वारा रक्त प्रदर का ईलाज

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चुम्बकीय शक्ति द्वारा रक्त प्रदर का ईलाज यह स्त्रियों को होने वाला रोग है, जिसमें माहवारी इसके अलावा एक अन्य अवस्था ऐसी होती है, जिसमें बहुत या माहवारी से इसका कोई सम्बन्ध नहीं होता। इस अवस्था को रक्त प्रव अवधि के अंदर ही कभी-कभी सामान्य स्थिति हो जाती है, जवान लड़ प्रत्येक ऋतुस्राव के दौरान एक सप्ताह तक गतिशील रहती है। स्त्रियों में यह अवस्था रजोनिवृत्ति (Menopause) के समय बहुतायत से पाई जाती है। योनि मार्ग से अनियमित तथा अधिक खून बहने के कुछ मुख्य कारण हैं–गर्भपात, गर्भाशय के अंदर किसी प्रकार की रसौली, फाइब्रोइड का होना, बच्चेदानी के अंदर की सतह पर घाव तथा खून की कमी, गलगण्ड (Goitre) की उत्पत्ति होना आदि। अधिक खुन जाने से चेहरा पीला पड़ जाता है, आँखे अंदर की ओर धंस जाती हैं, हाथ-पैर ठण्डे हो जाते हैं, नजर और नाडी कमजोर हो जाती है, कानों में भिनभिनाहट होती है, सिरदर्द रहता है। Follow-me Facebook page click this link चुम्बकीय शक्ति द्वारा रक्त प्रदर का ईलाज सामान्य उपचार 1. सादा तथा शीघ्र पचने वाला भोजन करें। 2. शारीरिक परिश्रम, कोई व्यायाम या योग करें। 3. मानसिक

दस्त

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दस्त आहार की गड़बड़ी से होने वाला पेट का रोग है.इस रोग में जो भी खाया जाता है वह पचता नही हैं और बार बार पतले दस्त आते है.दस्त में कभी कभी मल से असहनीय बदबू आती है।Follow-me
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कारण- मिलावटी खाद्य,बदबूदार वायु,गंदा जल,अस्वच्छ रहन सहन इस रोग के प्रमुख कारण हैं।घी,तेल,मसालेदार पदार्थों का सेवन करने से पाचक अग्नि बहुत जल्दी बिगड़ जाती है और पतले पतले दस्त शुरू हो जाते हैं।इसके अतिरिक्त गरिष्ठ,भारी और रूखे सूखे पदार्थों का सेवन करने से भी इस रोग का जन्म होता है।अमाशय व आंत के रोगों,कमज़ोरी,बुढ़ापा,आदि की वजह से भोजन हजम नही होता और दस्त होने लगती है।Follow-me
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लक्षण-पानी के समान बार बार पतला दस्त होता है।साथ ही पेट में चुभने जैसा दर्द होता है।कभी कभी मिचली या उलटी की भी शिकायत होती है।सिरदर्द और थोडा सा बुखार भी हो जाया करता है।बार बार शौच के बाद भी पेट साफ़ और हल्का नही होता।मलत्याग के बाद रोगी खुद को बहुत कमज़ोर एवम शक्तिहीन महसूस करता है।पेट में गैस भी बनती है,चक्कर आते हैं और पसीना निकलता है,शरीर में पानी की कमी हो जाती है।Follow-me
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नुस्खे-(1)जामुन और आम की गुठली की गिरी बराबर मात्रा में पीस ले।इस चूर्ण को दो चम्मच खाकर एक कप छाछ में यह चूर्ण मिलाकर पी जाए. तुरंत लाभ होगा।

(2)-कच्चे केलों को उबालकर छील लें. एक बर्तन में थोडा घी डालकर गर्म करें और दो तीन लौंग की छौक देकर उसमे केले डाल दे.दही में धनिया,हल्दी,सेंधा नमक मिलाकर इसमें डाल दे.ऊपर से थोड़ा पानी डाले. कुछ ही देर में केले की स्वादिष्ट सब्ज़ी तैयार हो जाएगी।इस सब्ज़ी के सेवन से दस्त या अतिसार के रोग में विशेष लाभ होता है।

(3)-सुखाए हुए संतरे के छिलके और सूखे मुनक्के के बीज बराबर मात्रा में घोटकर पीने से दस्त बंद हो जाती है।तीन चार दिनों तक इसके लगातार लेने से पेचिश भी बंद हो जाती है।

(4)-उपले(गोबर को सुखाकर बनाया जाता है)का टुकड़ा जलाकर राख बना ले।तीन चम्मच राख और एक चम्मच मीठा सोडा मिलाकर फंकी लेकर ऊपर से मट्ठा पी ले,लेकिन मट्ठे में पानी नही मिलाना चाहिए।इससे दस्त बंद होकर मल बंध जाता है।

(5)-खूनी दस्त होने पर गाय के दूध का मक्खन दस ग्राम खाकर ऊपर से छाछ पी लेना चाहिए।इससे खूनी दस्त बंद हो जाता है।

दस्त में खाने वाली चीज़े- धान की खीलों का मांड,देर तक पकाया हुआ भात,मसूर की दाल का पानी,छाछ,केला,लौकी,शहद,जामुन,अदरक,अनार,धनिया,सौंफ, जीरा ये सब दस्त के रोगी के लिए लाभदायक हैं।गेहूं, उड़द,जौ, चना,गरिष्ठ,तीखे,तीक्ष्ण पदार्थ,सभी तरह के साग,लहसुन,गुड़,शराब,ककड़ी,खीरा,नमकीन और खट्टे पदार्थो से परहेज करना चाहिए।





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